Madhu varma

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लेखनी कविता - जो तुम आ जाते एक बार -महादेवी वर्मा

जो तुम आ जाते एक बार -महादेवी वर्मा 


जो तुम आ जाते एक बार

 कितनी करूणा कितने संदेश
 पथ में बिछ जाते बन पराग
 गाता प्राणों का तार तार
 अनुराग भरा उन्माद राग

 आँसू लेते वे पथ पखार
 जो तुम आ जाते एक बार

 हंस उठते पल में आर्द्र नयन
 धुल जाता होठों से विषाद
 छा जाता जीवन में बसंत
 लुट जाता चिर संचित विराग

 आँखें देतीं सर्वस्व वार
 जो तुम आ जाते एक बार 

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